Sunday, 2 March 2014





...............{सुखी ज़मी}.............

जिन्दगी ये मायूस इसे थोड़ी खुशी दे दो,
रोते हुए इन बेकसूरों को थोड़ी हंसी दे दो,
दे दो इन मासूमो को हक जो है इनका ,
सुखी ज़मी पर इनकी थोड़ी सी नमी दे दो,

गरीबी में सिकुड़ते बचपन को पनाह दे दो,
जो ठगे इन मासूमो को उन्हें सज़ा दे दो,
दे दो हर बेबस बच्चे को एक आस इतनी,
इनको भी हंसने की दो पल की प्यास दे दो,

जो जेसा है हर हाल में खुश ये मासूम,
रोटी से भी जायदा प्यार के भूखे ये मासूम,
ये मासूमियत न बदल जाए ज़हर में कही,
इनकी मासूम जिन्दगी को थोडा और समय दे दो,

कोई बचपन कभी भी कपटी होता नहीं,
अल्फाजों का फंदा कभी भी पिरोता नहीं,
कडवाहट से भरी इनकी जिन्दगी हर पल,
तुम चाहो तो कुछ पल में इनके मिठास दे दो,

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